M.P. Judicial Services Exam Mains 2019 Previous Year Paper II | Article and Summary Writing

Candidates preparing for MP Judicial Services should solve the M.P. (Madhya Pradesh) Judicial Services Mains 2019 Paper-II

Update: 2024-08-23 02:22 GMT

Candidates preparing for M.P. Judicial Services should solve the M.P.(Madhya Pradesh) Judicial Services Mains 2019 Paper-II and other previous year question papers before they face Prelims and Mains.

Additionally, it gives an idea about the syllabus and the way to prepare the subjects by keeping the previous year's questions in mind. All toppers are mindful and cognizant of the types of questions asked by the MPCJ, to be aware of the various different tricks and types of questions. This should be done by every aspirant when starting their preparation. It is very important to have an overall understanding of the pattern and design of questions.

Only practising the authentic question papers will give you a real feel of the pattern and style of the questions. Here’s Madhya Pradesh Judicial Services Mains 2019 Previous Year Paper (Article and Summary Writing).

M.P. Judicial Services (Civil Judge) Mains Examination 2019
PAPER II (ARTICLE and SUMMARY WRITING)

Time: 3 Hours
Maximum Marks: 100

Question 1

Write an article in Hindi or English on any one of the following social topics: [30 Marks]

(i) Social networking sites - A curse to personal state

(ii) Social justice through reservation to economically weaker section.

Question 2

Write an article in Hindi or English, on any one of the following legal topics:- [20 Marks]

(i) Doctrine of Judicial review in India

(ii) The Aadhaar Card and Right to Privacy

Question 3

Summarize any one of the following English /Hindi passage:- [20 Marks]

The Constituent Assembly, while debating on the draft of the Constitution of India had set up an adhoc committee headed by Dr. Rajendra Prasad to select a flag for independent India The Committee recommended that the flag of the Indian National Congress be adopted as the National Flag of India in its present form. The resolution was approved unanimously by the Constituent Assembly on 22 July 1947. The National Flag of India is based on the Swaraj flag of Indian National Congress designed by Pingali Venkayya. The Indian National Flag is a tri-coloured panel made up of three rectangular panels or sub-panels of equal widths. The colour of the top panel is India saffron (Kesari) and that of the bottom panel is India green. The middle panel is white, bearing at its centre the design of Ashoka Chakra in navy blue colour with 24 equally spaced spokes. This wheel is a replica of the wheel of Ashoka's Lion Capital at Sarnath. The Ashoka Chakra should preferably be screen printed or otherwise printed or stenciled or suitably embroidered and should be completely visible on both sides of the Flag in the centre of the white panel. The ratio of the length to the height (width) of the Flag shall be 3:2. The National Flag of India should be made of hand spun and hand woven wool/cotton/silk khadi bunting. The manufacturing process and specifications for the flag are laid out by the Bureau of Indian Standards. The Flag Code prescribes a total of 9 different standard sizes of the National Flag. Use and authority to display the National Flag is regulated by the Flag Code of India (2002) issued by the Department of Home Affairs, Government of India.

Hon'ble the Supreme Court, in a noted decision of Union of India v. Naveen Jindal, has held that "right to fly the National Flag freely with respect and dignity is a fundamental right of a citizen within the meaning of Article 19(1)(a) of the Constitution of India being an expression and manifestation of his allegiance and feelings and sentiments of price for the nation" By the mandate of the Apex Court, every citizen of India now has a right to fly the National Flag However, this right is not unrestricted but regulated by the related enactments and the provisions of the Flag Code. The Prevention of Insults to National Honour Act, 1971 (as amended by the Amendment Act, 2003) provides for measures to prevent the insulting acts with regard to the Indian National Flag, whereas, the Emblems and Names (Prohibition of Improper Use) Act, 1950 prohibits the use of National Flag for the purpose of trade, business, calling or profession, or in the title of any patent, or in any trademark or design, violation of the same is punishable.

In any public place or within public view, burns, mutilates, defaces, defiles, disfigures, destroys, tramples upon or otherwise shows disrespect to or brings into contempt the Indian National Flag or any part thereof, is punishable under the Prevention of Insults to National Honour Act, 1971. Other forms of the National Flag like picture, painting, drawing or photograph, or other visible representation of it or any part thereof are also deemed to be insulting acts to the National Flag.

अथवा / OR

भारत के संविधान के प्रारुप पर चर्चा के दौरान संविधान राना ने राष्ट्रीय ध्वज के महत्व को स्वीकार करते हुए डा. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में स्वतंत्र भारत के लिए ध्वज की डिजाइन हेतु तदर्थ समिति गठित की थी। समिति ने उर्तमान स्वरुप के ही राष्ट्रीय ध्वज का प्रस्ताव 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में प्रस्तुत किया जो सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। भारत का राष्ट्रीय ध्वज पिंगली वाँया द्वारा डिजाइन किये गये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वराज ध्वज पर आधारित है। भारत का राष्ट्रीय प्राजक्ताकार बराबर अनुपात की तीन अलग-अलग रंग की अर्थात् सबसे उपर गहरे केसरिया मध्य में सफेद एवं सबसे नीचे गहरे हरे रंग की हैतिज पट्टियों से बना होता है। साथ ही गाध्य की सपफेद पट्टिका पर गहरे नीले रंग में 24 तीलियों का चक्र होता है जो अशोक के सारनाथ स्तंभ केक की अनुकृति है। पट्टिकाये और चक्र दोनों ओर से एक समान रग-रूप ही दिखाई देना चाहिये। ध्वज की लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात 32 है। राष्ट्रीय ध्वज के लिये या रेशमी खादी के कपड़े कर प्रयोग किया जाता है। भारत के राष्ट्रीय भाज के निर्मान एवं विशिष्टियों के लिये भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा गायक निधि है। जति में अलग-अलग मानक आकार के ध्वज विहित किये गये है। भारत सरकार के विभाग द्वारा जारी संहिता (2002) के माध्यम से किये गये है। भारत सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी ध्वज संहिता (2002) के माध्यम से राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग, प्रदर्शन और प्राधिकार को विनियमित किया गया है।

माननीय उच्चतम न्यायालय ने भारत संघ बनाम नवीन जिन्दल के बहुचर्चित मामले में अवधारित किया है कि सम्मान और गरिमा के साथ अबाध रूप से राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग और प्रदर्शन का अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के अर्थों में देश के प्रति राष्ट्रभक्ति, चेतना और भावो की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है। उच्यतम न्यायालय की उक्त व्यवस्था से देश के आम नागरिक को राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार मिला है लेकिन यह अधिकार निर्वाध नहीं है वरन् तत्संबंधी अधिनियमों और ध्वज संहिता के प्रावधानों से निर्बन्धित है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज के प्रति अपमानजनक कृत्यों को रोकने और दोषी व्यक्ति को दण्डित करने के लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 में उपबंध किये गये है। जबकि संप्रतीकों एवं नामों का अनुचित प्रयोग निवारण अधिनियम्, 1960 राष्ट्रीय ध्वज के व्यापार व्यवसाय आजीविका अथवा वृत्ति के प्रयोजन से उपयोग का प्रतिषेध करता है। उल्लंघन पर दण्ड का प्रावधान है।

राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम के अंर्तगत, किसी सार्वजनिक स्थान या ऐसे स्थान में जो आम जनता को दृष्टव्य हो, भारत के राष्ट्रीय ध्वज को जलाने, फाडने, उसका रुप बिगाड़ने, कुरुप या दूषित करने, नष्ट करने, रौंदने अथवा कहे या लिखे गये शब्दों या किसी कृत्य द्वारा तिरस्कार करने पर दण्ड का प्रावधान किया गया है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज के किसी भाग तस्वीर रंगचित्र छायाचित्र या इसके किसी दृश्य-प्रतिरुप का अनादर भी राष्ट्रीय ध्वज का अनादर समझा जाता है।

Question 4

Translate the following 15 Sentences into English: [15 Marks]

(1) किसी पुलिस अफिसर से की गई कोई भी संस्वीकृति किसी अपराध के अभियुका व्यक्ति के विरुद्ध साबित न की जाएगी।

(2) चजिस्ट्रीकरण अधिनियम की धारा 49 यह नहीं कहती कि कोई भी अपंजीकृत दस्तावेज, जो पंजीकृत किया जाना अपेक्षित है, सक्रय में ग्रहण नहीं किया जाएगा।

(3) यदि दोषसिद्धि अपील पर या अन्यथा अपास्त कर दी जाती है तो निश्वादित मन्त्र शून्य हो जाएगा।

(4) वादमित्र की नियुक्ति विधि के अनुसार की गई थी।

(5) सभी अभियुक्तगण सोक सेवक है और जिम्मेदार एवं गरिमा के पदों को धारण किये हुये हैं।

(6) यह ऐसा विरल से विरलतम प्रकरण नहीं है जिसके लिये अंतर्निहित शक्तियों कर प्रयोग किया जाये।

(7) यदि लिपकीय त्रुटि से वाक्य में केवल नहीं शब्द छूट जाये तो वह त्रुटि भी तात्विक प्रभाव डाल सकती है।

(8) ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारे प्रबंधक से संपर्क करें ।

(9) इस शर्त के साथ पुस्तक विक्रय की जा रही है कि किसी भी विवाद की स्थिति में सिर्फ दिल्ली न्यायालय का क्षेत्राधिकार होगा ।

(10) किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वचित किया जायेगा, अन्यथा नहीं ।

(11) प्रत्येक राज्य, देश के पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन का और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।

(12) एक न्यायाधीश अपने न्यायिक कर्तव्यों को बिना अनुग्रह, पक्षपात या पूर्वाग्रह के निभायेगा ।

(13) वैवाहिक विवादों के वास्तविक निपटारे को प्रोत्साहित करना न्यायालयों का कर्तव्य है।

(14) आपराधिक षड्यंत्र साधारणत गोपनीयता में ही रखा जाता है, जिसके कारण प्रत्यक्ष साक्ष्य को प्राप्त करना कठिन होता है।

(15) चुनौती का अगला आधार यह है कि दुर्घटना मृतक के उतावलेपन एवं उपेक्षापूर्ण ढंग से चालन के कारण घटित हुई थी।

Question 5

Translate the following 20 Sentences into Hindi:- [15 Marks]

(1) Finding of the learned trial court is mainly based on the statements of injured eye witnesses.

(2) The circumstances from which the conclusion of guilt is to be drawn, should be fully established.

(3) Each material proposition affirmed by one party and denied by the other shall form the subject of a distinct issue.

(4) Testimony of the hostile witness cannot be totally discarded.

(5) Day to day proceedings in a criminal trial is a rule and adjournment is an exception

(6) The suit property lost its ancestral character after its partition and had become self acquired property.

(7) Judgment of other High Courts are not binding although they have persuasive value

(8) Social action can be undertaken by the elites exclusively without the participation of the masses

(9) The manuscripts, composed by poet Jayadeva are being exhibited at the Prince auditorium.

(10) He announced rupees twenty billion worth of investments in cash and reserves.

(11) To constitute the offence of abetment it is not necessary that the act abetted should be committed.

(12) Nothing is said to be done or believed in "good faith" which is done or believed without due care and attention.

(13) When a witness is cross-examined, he may be asked any question which tend to test his veracity and to shake his credit by injuring his character.

(14) The letter of request shall be transmitted in such manner as the central government may specify.

(15) The directions issued by the High Court in the impugned order are upheld with the following additions and modifications.

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